स्त्री का पहला गुण- दोष ना लगानेवाली
परमेश्वर यहाँ पर स्त्रियों के खास गुणों की व्याख्यान कर रहा है। वचन यहाँ पर कह रहा है कि स्त्रियों को गंभीर होना चाहिये, इसका मतलब यह नहीं कि आपको हँसना नहीं चाहिये या हमेशा मुँह लटकाये रहना चाहिये ऐसा बिलकुल भी नहीं है। आप को हमेशा हर समय आनंदित रहना चाहिये, क्योंकि प्रभु का आनंद हमारा बल है। परन्तु जब किसी की भी बुराई या चुगली की बात आती है तो हमें उनके साथ एक नहीं होना चाहिये। यानी जब कोई स्त्री किसी की भी बुराई करके उस व्यक्ति के चरित्र को नीचे गिराना चाहती है, तो हमें अपने चेहरे पर गंभीरता लाना चाहिये ताकि आप उस सामने वाले व्यक्ति के मँुह को बंद कर सके। स्त्रियों को बुराई सुनने के लिये बहुत मजा आता है और वे कहती है कि मैंने तो सिर्फ सुना है। लेकिन आगे बाइबल यह लिखता है कि वे दोष लगानेवाली ना हो। परमेश्वर की भय माननेवाली स्त्रियों को ना ही किसी की बुराई सुनना चाहिये, ना ही किसी की बुराई करना चाहिये और ना ही उन पर दोष लगाना चाहिये।1 तीमुथियुस 3:11 “इसी प्रकार से स्त्रियों को भी गम्भीर होना चाहिये ; दोष लगानेवाली न हो , पर सचेत और सब बातो मे विश्वासयोग्य हों”।
हम स्त्रियों को हर बातों के द्वारा सिर्फ परमेश्वर की महिमा करनी चाहिये और किसी के भी व्यक्तिगत जीवन के बारे में हमें कोई रूची नहीं रखनी चाहिये खासकर अपने पासवान के बारे में तो बिलकुल भी नही! वे क्या करते है, कहाँ जाते है, कितनी महंगी गाड़ियों में घुमते है या कितने महंगे कपड़े पहनते है। ये सब हमारा काम नहीं है। अगर हम परमेश्वर को धन्यवाद देंगे तो जो परमेश्वर आपके पासवान को गाड़ियाँ देता है वो आपको भी देगा और आपको बढ़ाएगा। परन्तु यदि हम उनके विरूद्ध बलवा करेंगे या अपने सिर को उनके विरूद्ध उठाएंगे तो जिस सिर से आशीष बहकर हमारे पास आती है हम उस आशीष के बहाव को वहीं पर रोक देते है। क्योंकि सिर से ही अभिषेक और आशीष बहकर पूरे शरीर यानी कलीसिया पर आती है जैसे भजन संहिता 133:2–3 में लिखा है, ”यह तो उस उत्तम तेल के समान है, जो हारून के सिर पर डाला गया था, और उसकी दाढ़ी पर बहकर, उसके वस्त्र की छोर तक पहुँच गया। …यहोवा ने तो वहीं सदा के जीवन की आशीष ठहराई है।“ यानी आपकी आशीष सिर के साथ जुड़कर अर्थात् कलीसिया में बने रहने के द्वारा ही आती है।कई सारी स्त्रियाँ जिस कलीसिया में जाती है वे वहाँ पर किसी न किसी के ऊपर दोष लगाते है। वे जवानों के कपड़ो के बारे में दोष लगाते है या फिर कलीसिया के लीडर और पासवानों के ऊपर दोष लगाते है। वे कलीसिया में छोटी छोटी सी गलतियों की चर्चा करते रहते है। वे कहती है कि आज कलीसिया सही समय पर शुरू नहीं हुई, आज क्वायर का गीत अच्छा नहीं था, आज कलीसिया देरी से खत्म क्यों हुई। आज पासवान की पत्नी के कपड़े अच्छे नहीं थे और आज उसने ज्यादा मेकअप क्यों किया था। आज पासवान ने इतना लंबा वचन क्यों सिखाया, आज पासवान ने सबके ऊपर हाथ क्यों नहीं रखा ?
दोष लगाने का मतलब यह है कि हम किसी व्यक्ति के विरूद्ध मुँह खोलकर आरोप लगाते है और उनके ऊपर उँगलिया उठाते है। बाइबल में भी कुछ दोष लगानेवाली स्त्रियों के बारे में बताया गया है।दोष लगानेवाली स्त्रियाँ
आइये हम उनका अध्ययन करेंगे।
अय्यूब की पत्नी
अय्यूब 2:9 “तब उसकी स्त्री उससे कहने लगी, ”क्या तू अब भी अपनी खराई पर बना है? परमेश्वर की निन्दा कर, और चाहे मर जाए तो मर जा”। अय्यूब के जीवन में जब परेशानी आई तब उसकी पत्नी उसके ऊपर दोष लगाने लगी और यहाँ तक कि वह उसे कहने लगी कि तू मर जा। कौन पत्नी अपने पति को ऐसा कह सकती है? जब दोष लगानेवाली आत्मा उसके ऊपर हावी हो जाती है तब वह जो नहीं कहना चाहती है वही अपने मुँह से बोल देती है। ऐसा हर स्त्रियों के साथ होता ही है। अय्यूब की पत्नी को परेशानी बहुत ही बड़ी और उसका पति बहुत ही छोटा दिखाई देने लगा क्योंकि वह यह भूल गई थी कि उसके पास जो कुछ भी था वह सब कुछ परमेश्वर का ही दिया हुआ था। परेशानी तो पलभर की ही है, पर परमेश्वर उस परेशानी को बदल सकता है क्योंकि परमेश्वर का सिंहासन युगानुयुग स्थिर है।
अय्यूब के जीवन में जब परेशानी आई तब उसकी पत्नी उसके ऊपर दोष लगाने लगी
जब हमारे पास सब कुछ होता है तब हम परमेश्वर के पीछे चलते है परन्तु थोड़ी सी परेशानी आने पर हम अपने पासवान, लोगों या परमेश्वर पर दोष लगाते है और परमेश्वर के पीछे चलना छोड़ देते है। कुछ स्त्रियाँ भी ऐसा ही करती है जो थोड़ी सी परेशानी आने पर अपने पति को छोड़ देती है या उन पर दोष लगाती है, लेकिन हमें परेशानी आने पर अपने पति को और ज्यादा सहारा देना चाहिये क्योंकि परमेश्वर ने हम पत्नियों को सहायक कहा है, यानी हर समय, हर बातों में उनकी सहायक बनना चाहिये और उनकी पूरी सहायता करनी चाहिये।
परन्तु बाइबल में लिखा है कि अय्यूब परमेश्वर में बना रहा और उसने परमेष्वर पर दोष नहीं लगाया इसलिए उसने जितना खोया था उसका सब कुछ दुगुना वापस उसको मिला।
अय्यूब परमेश्वर में बना रहा और उसने परमेष्वर पर दोष नहीं लगाया इसलिए उसने जितना खोया था उसका सब कुछ दुगुना वापस उसको मिला ।
दोष लगाने से हमें कुछ फायदा नहीं होगा और ना ही हमें कुछ मिलेगा। इसलिये हम दोष ना लगाने के आशीष को देखेंगे।
लूका 6:37 “दोष मत लगाओ, तो तुम पर भी दोष नहीं लगाया जाएगा। दोषी न ठहराओ, तो तुम भी दोषी नहीं ठहराए जाओगे। क्षमा करो, तो तुम्हें भी क्षमा किया जाएगा।“
यदि हम दोष नहीं लगायेंगे तो हम भी दोषी नहीं ठहराए जाएंगे। यशायाह 58:8–9 “तब तेरा प्रकाश पौ फटने की समान चमकेगा, और तू शीघ्र चंगा हो जाएगा; तेरा धर्म तेरे आगे आगे चलेगा, यहोवा का तेज तेरे पीछे रक्षा करते चलेगा। तब तू पुकारेगा और यहोवा उत्तर देगा; तू दोहाई देगा और वह कहेगा, ‘मैं यहाँ हूँ। यदि तू अन्धेर करना और उँगली उठाना, और दुष्ट बातें बोलना छोड़ दे”।
यदि हम दोष नहीं लगाएंगे तो आपका प्रकाश दिन प्रतिदिन बढ़ता जाएगा और आप चंगाई में ही रहेंगे, परमेश्वर आपके आगे आगे चलेगा और यहोवा का तेज आपके पीछे भी रक्षा करता रहेगा।
यदि हम किसी दूसरे के ऊपर उँगली नही उठायेंगे और ना ही अपने मुँह से दुष्ट बातें बोलेंगे तो जब आप परमेश्वर को पुकारेंगे तब वह आपको उत्तर देगा और आपसे कहेगा कि मैं यहाँ हूँ और मै तेरे साथ हूँ।
2.मूसा की बहन मरियम
गिनती 12:1 “मूसा ने तो एक कूशी स्त्री के साथ विवाह कर लिया था। इसलिये मरियम और हारून उसकी उस विवाहित कूशी स्त्री के कारण उसकी निन्दा करने लगे”।

मूसा ने लाल समुद्र को दुभागा, चट्टान में से पानी निकाला और कई सारे अद्भुत चमत्कार किए लेकिन उसकी बहन उसके चमत्कारों से प्रभावित नहीं होती है। जब वह शादी करता है तब उस पर दोष लगाने के लिये अपना मुँह खोलती है और यहाँ तक कि परमेश्वर को उसकी बाते सुनकर गुस्सा आता है। गिनती 12:8–9 कहता है कि, “…इसलिये तुम मेरे दास मूसा की निन्दा करते हुए क्यों नहीं डरे? तब यहोवा का कोप उन पर भड़का, और वह चला गया”।
हम स्त्रियों की नजर अपने पासवानों के द्वारा किए गए चमत्कारों पर होनी चाहिए। लेकिन कुछ स्त्रियाँ अपने पासवानों के नीजि जीवन में कमी ढूँढ़कर उनके ऊपर दोष लगाती है। क्या कभी हमने अपने पासवानों के द्वारा सिखाए गए वचनों को वापस घर पर जाकर पढ़ा है या फिर उस पर मनन किया है? लेकिन प्रचार के दौरान उनकी छोटी-छोटी बातों में गलती ढूँढ़कर अपने घर में स्त्री सेमिनार करके सबको बताती है। अपने घर में बस दोष की बातों की चर्चा करती रहती है। याद रखिए जब मूसा की बहन उस पर दोष लगा रही थी तो परमेश्वर मूसा के पक्ष में खड़ा था। परमेश्वर हमेशा दोष लगानेवाले के विरूद्ध खड़ा रहता है। यदि परमेश्वर आपके विरूद्ध खड़ा होगा तो फिर कौन आपको बचाएगा? इब्रानियों 10:31 कहता है कि, “जीवते परमेश्वर के हाथों में पड़ना भयानक बात है”।
और फिर देखिए मरियम कोढ़िन हो गई। जब आप परमेश्वर के दास यानी पासवानों के ऊपर दोष लगाते है तब आप अपने ऊपर रोग लाने के लिये शैतान को मौका देते है और आप जीवते परमेश्वर के हाथों में पड़ जाते है जो कि भयानक बात है।
प्रकाशितवाक्य 12:10 “फिर मैं ने स्वर्ग से यह बड़ा शब्द आते हुए सुना, “अब हमारे परमेश्वर का उद्धार और सामर्थ और राज्य और उसके मसीह का अधिकार प्रगट हुआ है, क्योंकि हमारे भाइयों पर दोष लगानेवाला, जो रात दिन हमारे परमेश्वर के साम्हने उन पर दोष लगाया करता था, गिरा दिया गया”।
बाइबल में लिखा है कि रात दिन दोष लगानेवाले शैतान को नीचे गिरा दिया गया है और यदि आप भी दोष लगाते रहेंगे तो आप कितने भी ऊँचाई पर क्यों ना हो एक दिन आपको भी जरूर नीचे गिरा दिया जाएगा। इसलिये अपने आप को दोष लगाने के आदत से और दोष लगानेवाले लोगों से दूर रखे और दोष लगाने के द्वारा शैतान को अवसर ना दे।
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