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परमेश्वर मेरा प्रथम स्थान

 

                              भजन संहिता १३९:१ हे यहोवा, तू ने मुझे जाँचकर जान लिया है।


हे परमेश्वर, तूने मुझे जाँचकर जान लिया है

इस अध्याय के, शुरुआत में भजनकार यह कहता है कि “ हे परमेश्वर, तूने मुझे जाँचकर जान लिया है,अर्थात परमेश्वर एक व्यक्ति को जाँचने के बाद ही जान लेता है’’|अब यहाँ पर सवाल यह उठता है कि परमेश्वर ऐसा क्यों करते है | जी हाँ, इस सवाल का जवाब काफी सरल है परमेश्वर एक व्यक्ति को इसलिए परखता है क्योंकि वह यह देखना चाहता है कि उस व्यक्ति का दिल “ परमेश्वर के प्रेम के प्रति है या नहीं ’’और ख़ासकर उस व्यक्ति के जीवन में उसका “प्रथम स्थान’’ है या नहीं | आपको एक बात हमेशा याद रखनी है कि आपको अपने पति, पत्नी, बच्चे या फिर धन — संपत्ति यानि सारी चीजों से बढ़कर और सबसे ऊँचा जो प्रेम करना है, वो परमेश्वर से प्रेम करना है | जैसे दाऊद राजा को परमेश्वर ने जाँच लिया था कि यह मेरे दिल के मुताबिक व्यक्ति है | परमेश्वर ने वाचा के अनुसार अब्राहम को बेटा दिया; जब उसकी उम्र सौ वर्ष की थी और बाद में उस बेटे को मोरिय्याह पर्वत के ऊपर बलिदान करने के लिए कहा | क्या परमेश्वर बच्चों का बलिदान चाहता है ? नहीं, ऐसा बिलकुल भी नहीं है, क्योंकि पुराने नियम में इस बात को अधिक स्पष्ट रूप से बतलाया गया है कि परमेश्वर, बच्चों के बलिदान से कितनी घृणा करता था |

अब यहाँ पर यह सवाल उठता है कि फिर परमेश्वर ने आखिरकार क्यों अब्राहम को बच्चे की आशीष देने के बाद, उसे बलिदान करने के लिए कहा ?

जी हाँ, परमेश्वर ने अब्राहम को अपने इकलौते बेटे इसहाक का बलिदान इसलिए करने के लिए कहा था, क्योंकि परमेश्वर को एक बच्चे की बलि नहीं चाहिए थी बल्कि वह अब्राहम को इस निर्देश ( instruction ) के द्वारा परख रहा था कि क्या वह सचमुच “ परमेश्वर “ के प्रेम को प्रथम स्थान देता है या फिर अपने “इकलौते बच्चे को "|


मनन के द्वारा विचारों का जांचना।

भजनसहिंता १७:३ तू ने मेरे हृदय को जांचा है; तू ने रात को मेरी देखभाल की, तू ने मुझे परखा परन्तु कुछ भी खोटापन नहीं पाया; मैं ने ठान लिया है कि मेरे से अपराध की बात नहीं निकलेगी |

इस वचन में हम यह देख सकते है कि परमेश्वर आपके विचारों को जाँचता है कि रात को सोने से पहले, आप क्या सोचते है यानि आपकी चालचलन का भेद क्या है या फिर आपके विचारों में किसी व्यक्ति के प्रति खोट है या नहीं | जब परमेश्वर परख लेता है कि आपके दिल में किसी भी व्यक्ति के प्रति कुछ भी खोट या नकारात्मक विचार नहीं है; तब परमेश्वर आपको रात के समय में सुरक्षा प्रदान करता है | यथार्थ, परमेश्वर हमारा रक्षक है, तब हमें किससे डरने की क्या जरुरत है क्योंकि बायबल स्पष्टरूप से यह कहता है कि इस्राईल का परमेश्वर न रात को सोता है न ही ऊंघता है | अगर आपको रात के समय में डर लगता है या फिर डरावने सपने आते है, तब आपको इस वचन को लेकर मनन करना है | हमें हमेशा अपने दिल को जाँचना है यानि अपने आप से यह सवाल पूछना है कि क्या मेरे विचारों में किसी व्यक्ति प्रति खोट “है " या “ नहीं "| अपने आपके विचारों को न परखने से, कई बार हम शैतान को दोष देते ही रहते है, जैसे कि शैतान ने बरकत और आशीष को रोक के रखा है और शैतान ही हर मुसीबत का जड़ है | वास्तविकता, में हर एक मुसीबत की जड़ शैतान नहीं हो सकता है; कई बार हम खुद यानि हमारे खोट वाले विचार हमारे मुसीबत की जड़ होते है |

हमें अपने मुँह पर नियंत्रण रखना है

आगे भजनकार इस वचन में यह कहता है कि कोई भी व्यर्थ की बात मेरे मुँह से नहीं निकलेगी क्योंकि यह मैं ने अपने आप से पक्का ईरादा किया है | क्या यह हो सकता है, एक व्यक्ति परमेश्वर से यह खुलकर कह सकता है कि “मेरे मुँह पर मेरा नियंत्रण है "| यहाँ पर एक अद्भुत कुंजी छुपी हुई है कि अगर आप अपने मुँह को संभालकर रख सकते है तो आप अपने विचारों को भी संभालकर रख सकते है | यह सवाल काफ़ी पेचीदा है कि अपराध कहाँ से होता है ? जी हाँ, अपराध की शुरुआत एक व्यक्ति के विचारों  में होती है | निःसंदेह, वही विचार उस व्यक्ति के मुँह में आते है और अपराध की बाते मुँह से निकलती है | वही अपराध की बाते, पाप बन जाती है और आख़िरकार, वही अपराध की बाते उस व्यक्ति को फ़सा भी देती है |

हे मेरे प्रियों, अपने मुँह से अपराध की बाते न निकलने के लिए, अपने आपको पहले जाचं लो की, आप क्या बोल रहे है अर्थात आपके मन में क्या — क्या विचार आ रहे है क्योंकि आपके मन में जो जो विचार आ रहे है उसे परमेश्वर जाचँता है |

आपका विचार, मन, अंदरूनी भाग परमेश्वर की ओर होना चाहिए।

यिर्मयाह १२ :३ हे यहोवा तू मुझे जानता है; तू मुझे देखता है, और तू ने मेरे मन की परीक्षा कर के देखा कि मैं तेरी ओर किस प्रकार रहता हूँ। जैसे भेड़-बकरियां घात होने के लिये झुण्ड में से निकाली जाती हैं, वैसे ही उन को भी निकाल ले और वध के दिन के लिये तैयार कर | यह वचन सरलता से कहता है, परमेश्वर का एक मनुष्य को जाँचने का मुख्य उद्देश्य यह है कि उस व्यक्ति का विचार, मन, अंदरूनी भाग किस के पक्ष में है अर्थात संसार की ओर, धन — संपत्ति की ओर, शैतान की ओर या फिर परमेश्वर की ओर |


कलीसिया में बने रहने के द्वारा हम परमेश्वर की ओर है।

कलीसिया  परमेश्वर की  भेड़ की झुंड को दर्शाती है 


आगे इस वचन में यह कहा गया है कि “ जैसे झुंड में से भेड़ — बकरियाँ घात होने के लिए निकाली जाती है ", इस संदर्भ का अर्थ यह है कि जब एक शिकारी, शिकार करने के लिए भेड़ — बकरियों के झुंड में से किसी एक को बाहर निकालता है, वैसे ही शैतान भी परमेश्वर की कलीसिया से एक व्यक्ति को घात करने के लिए बाहर निकालता है | “ कलीसिया “ परमेश्वर की भेड़ की झुंड को दर्शाती है "| और जैसे ही एक व्यक्ति कलीसिया से यानि झुंड से अलग हो जाता है, शैतान उसका आसानी से घात करता है | इसलिए मनुष्य को बनाया ही गया है, परमेश्वर के पक्ष में रहने के लिए | आपको दिन — रात परमेश्वर की ओर ही रहना है, परमेश्वर में लीन और मगन रहना है, परमेश्वर में डूब जाना है, परमेश्वर में चलते — फिरते रहना है और प्रभु यीशु मसीह के लिए ही आपको जीना है | जिस तरह से मछली, पानी से निकाली जाएगी तो वह मर जाएगी; एक वृक्ष को मिट्टी से अलग किया जाये तो वह मर जायेगा | इसी तरह से “ एक मनुष्य “ को परमेश्वर से अलग किया जाये तो वह भी मर जायेगा | अधिकांश लोग “ मृत्यु “ की परिभाषा को शारीरिक मृत्यु समझते है, यानि मरने की क्रिया को मृत्यु समझते है; लेकिन मृत्यु

( death ) उससे भी बढ़कर है | अर्थात “ परमेश्वर से दूर होकर जीना "यह एक “ मृत्यु " के भाग को दर्शाता है |

बायबल स्पष्टरूप से कहता है कि प्रभु यीशु मसीह जिंदा है इसलिए हम भी जिंदा है और आज हम उसी के लिए ही जी रहे है, चल रहे है, बोल रहे है |




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